Poems that connect people

Saturday, May 6, 2017

सामने आ गए छुपे हुए गद्दार सब


सामने आ गए छुपे हुए गद्दार सब
कर रहे है देश पर प्रहार वो मिलकर 
नहीं उन्हें कोई गुमान देश प्रेम का 
बिक चुके है जिनके इमां और आत्मा

कोई उन्हें रोके जरा 
क्या वो कर रहे 
जिस मिट्टी में पले बड़े 
उसी को डुओ रहे 

नहीं डरो! नहीं रुको!
ये आखरी संग्राम है
वक्त है इम्तिहान का 
ये जंग का ऐलान है 
ये जंग का ऐलान है 

वार कर ऐसे की देखे 
जमाना गौर से 
तप चुकी धरती 
अमन की पापियों 
के  शोर से.........

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